पूर्व सरकारी अधिकारी श्रीमंत डे मंगलवार से ही कश्मीर घाटी में छाए सन्नाटे के बीच उदास बैठे हैं। पहलगाम में भयावह आतंकी हमले के समय वह पश्चिम बंगाल से 30 लोगों के दल के साथ कश्मीर घूमने आए हैं। फोन पर डे ने बताया, ‘हम कुछ घंटे पहले ही घास के मैदानों से निकलकर शहर लौटे थे, तभी हमें पहलगाम पर आतंकवादी हमले के बारे में पता चला।’ उन्होंने कहा कि सड़क पर कोई हलचल नहीं है। पहलगाम के मुख्य बाजार और उसके आसपास के सभी होटल ऐसे पर्यटकों से भरे हुए हैं, जो शहर से बाहर निकलने का रास्ता तलाश रहे हैं।
डे ने कहा, ‘सुरक्षा बलों में से किसी ने हमें बताया कि एक या दो दिन में हमें घर वापस जाने के लिए वाहन और सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।’ उन्होंने बताया कि उन्हें वैष्णो देवी भी जाना था मगर अब वे अपनी यात्रा छोटी कर सकते हैं। जो लोग जल्द से जल्द घर पहुंचना चाहते हैं उनके लिए सरकार सक्रियता से कदम उठा रही है। जम्मू-कश्मीर, विशेष रूप से पहलगाम और उसके आसपास फंसे पर्यटकों को बाहर निकालने के लिए सरकारी एजेंसियां काम कर रही हैं।मंगलवार दोपहर को पहलगाम में आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे।
भारतीय रेल ने पर्यटकों के लिए एक विशेष आरक्षित ट्रेन चलाने की घोषणा की है। यह ट्रेन बुधवार रात कटरा से रवाना होकर गुरुवार सुबह दिल्ली पहुंचेगी। उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु उपाध्याय ने कहा, ‘यदि जरूरत पड़ी तो उत्तर रेलवे अपने पास उपलब्ध बोगियों का उपयोग कर आगे और अधिक विशेष रेलगाड़ियां चलाने की घोषणा कर सकता है।’ अधिकारियों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर से प्रस्थान करने वाली सामान्य रेलगाड़ियां निर्धारित समय पर चल रही हैं। रेलवे के अधिकारी श्रीनगर में फंसे अतिरिक्त यात्रियों को ट्रेनों में जगह दे रहे हैं।
रेल मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि घाटी में मेमू सेवाएं पूरी तरह चालू हैं और नियमित रेलगाड़ियां सामान्य रूप से चल रही हैं। उन्होंने बताया, ‘अभी तक ट्रेन रद्द करने या किसी बड़े बदलाव की कोई सूचना नहीं है।’ सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के कई रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, खास तौर पर उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) पर हाल ही में बनाए गए संगलदान-रियासी सेक्शन में।
रेलवे बोर्ड के प्रवक्ता ने कहा, ‘कश्मीर के लिए सीधी ट्रेन की योजना में अभी तक कोई बदलाव नहीं हुआ है। इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री का दौरा स्थगित कर दिया गया था और स्थिति वही है। रेलवे फिलहाल यात्रियों को वहां से निकालने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।’
इस बीच सड़क मार्ग से यात्रा करने वाले यात्रियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि इस सप्ताह की शुरुआत में रामबन जिले में बादल फटने से भारी तबाही हुई थी और जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच 44) पांच इलाकों में बह गया था। हालांकि अधिकारी सड़क मार्ग से यात्रा करने वालों की सुविधा के लिए सड़क संपर्क को आंशिक तौर पर बहाल करने में सफल रहे हैं मगर स्थिति अभी भी मुश्किल बनी हुई है।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘मैंने प्रशासन को श्रीनगर और जम्मू के बीच यातायात सुगम बनाने का निर्देश दिया है ताकि पर्यटक वाहन निकल सकें। यह नियंत्रित और संगठित तरीके से किया जाना चाहिए क्योंकि सड़कें अभी भी कई जगहों पर टूटी हुई हैं। हम फंसे हुए सभी वाहनों को निकालने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। हम अभी वाहनों की पूरी तरह से मुक्त आवाजाही की अनुमति नहीं दे पाएंगे और हमें उम्मीद है कि हर कोई हमारे साथ सहयोग करेगा।’
First Published – April 23, 2025 | 11:54 PM IST